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एक आँसू गिरा सोचते सोचते / नक़्श लायलपुरी

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एक आँसू गिरा सोचते-सोचते
याद क्या आ गया सोचते-सोचते

कौन था, क्या था वो, याद आता नहीं
याद आ जाएगा सोचते-सोचते

जैसे तसवीर लटकी हो दीवार से
हाल ये हो गया सोचते-सोचते

सोचने के लिए कोई रस्ता नहीं
मैं कहाँ आ गया सोचते-सोचते

मैं भी रसमन तअल्लुक़ निभाता रहा
वो भी अक्सर मिला सोचते-सोचते

फ़ैसले के लिए एक पल था बहुत
एक मौसम गया सोचते-सोचते

‘नक़्श’ को फ़िक्र रातें जगाती रहीं
आज वो सो गया सोचते-सोचते