Last modified on 24 मई 2010, at 17:33

हे मेरे अमर सुरावाहक / सुमित्रानंदन पंत

Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:33, 24 मई 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सुमित्रानंदन पंत |संग्रह= मधुज्वाल / सुमित्रान…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

हे मेरे अमर सुरा वाहक,
निज प्रणय ज्वाल सी सुरा लाल
तुम भरो हृदय घट में मादक!
चिर स्नेह हीन मेरा दीपक
दीपित न करोगे तुम जब तक
कैसे पाऊँगा दिव्य झलक?
अधरों पर धर निज मदिराधर
तुम जिसे पिलाते हो क्षण भर
वह तुम पर हो चिर न्योछावर
मधु घट सा उठता छलक छलक!
हे मेरे मधुर सुरा वाहक,
मैं हूँ मधु अधरों का ग्राहक!
ढालो निज पावक दुख-दाहक
मद से हो जाएँ अवश पलक!