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आधा-आधा चित्र उतरता है / गुलाब खंडेलवाल

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आधा-आधा चित्र उतरता है
 
अरुण अधर अधखुले, अर्धस्मित
पलक अधखुली, चितवन अलसित
आधा मुख अलकों से चुंबित
आधा वक्ष छिपा अंचल में झिलमिल करता है

खिड़की भी है खुली न पूरी
रूप-अरूप अर्ध है दूरी
सम्मुख कविता पड़ी अधूरी
नयनों में सुख-सपना आधा रूप सँवरता है

आधी प्रीति, रोष है आधा
आधा मन, आधी है बाधा
आधा मोहन, आधी राधा
आधी में चंचलता, आधी में सुन्दरता है

आधा-आधा चित्र उतरता है