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जिसके प्रति अपनाव / सुमित्रानंदन पंत

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जिसके प्रति अपनाव
वही अपना ख़ैयाम!
जिसमें है दुर्भाव
ग़ैर है उसका नाम!

विष दे जीवन दान
सुधा वह बने ललाम,
मधु अहि-दंश समान
न विस्मृति दे यदि जाम!