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पान करना या करना प्यार / सुमित्रानंदन पंत
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पान करना या करना प्यार
उमर यदि हो अपराध,
साधुवर, क्षमा करो, स्वीकार
न मुझको वाद विवाद!
करो तुम जप पूजन उपचार,
नवाओ प्रभु को माथ;
सुरा ही मुझे सिद्धि साकार,
मधुर साक़ी हो साथ!