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जब तुम किसी मधुर अवसर पर / सुमित्रानंदन पंत

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जब तुम किसी मधुर अवसर पर
मिलो कहीं हे बंधु, परस्पर,
एक दूसरे पर हो जाओ
तुम अपने को भूल निछावर!
जब हँसमुख साक़ी आ सुंदर
अधरों पर धर दे मदिराधर,
वृद्ध उमर को भी तब क्षण भर
कर लेना तुम याद दया कर!