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तंद्रित तरुतल छाया शीतल / सुमित्रानंदन पंत

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तन्द्रित तरुतल, छाया शीतल,
स्वप्निल मर्मर!
हो साधारण खाद्य उपकरण,
सुरा पात्र भर!
गाओ जो तुम प्रेयसि निरुपम,
गीत मनोहर,
फिर यह निर्जन स्वर्ग सदन सम
हो चिर सुखकर!