भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मादक स्वप्निल प्याला फेनिल / सुमित्रानंदन पंत

Kavita Kosh से
Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:12, 27 मई 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सुमित्रानंदन पंत |संग्रह= मधुज्वाल / सुमित्रान…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मादक स्वप्निल प्याला फेनिल
साक़ी, फिर फिर भर अंतर का
आलोकित जिनका उर निश्चित
पीते वे मधु मदिराधर का!
जग के तम से, संशय भ्रम से
मोह मलिन जिनका मन मंदिर,
उनके भीतर जीवन-भास्वर
जलता दीप न साक़ी का फिर!