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दो शब्दों में कह दूँ तुमसे / सुमित्रानंदन पंत

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दो शब्दों में कह दूँ तुमसे
उमर अंत में सच्ची बात,
उसके विरहानल में जल कर
पाएगी यह राख नजात!
और उसी की प्रीति सुरा से
दीप शिखा सी उठ तत्काल
पुनः जी उठेगी, ज्योतित कर
महामृत्यु की काली रात!