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इस जग की चल छाया चित्रित / सुमित्रानंदन पंत
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इस जग की चल छाया चित्रित
रंग यवनिका के भीतर
छिप जाएँगें जब हम प्रेयसि,
जीवन का छल अभिनय कर!
रंग धरा पर हास अश्रु के
दृश्य रहेंगे इसी प्रकार
हम न रहेंगे, मायामय का
पर न रुकेगा खेल, उमर!