भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
लाओ हे लज्जास्मित प्रेयसि / सुमित्रानंदन पंत
Kavita Kosh से
Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:34, 31 मई 2010 का अवतरण ("लाओ हे लज्जास्मित प्रेयसि / सुमित्रानंदन पंत" सुरक्षित कर दिया ([edit=sysop] (indefinite) [move=sysop] (indefinite)))
हिन्दी शब्दों के अर्थ उपलब्ध हैं। शब्द पर डबल क्लिक करें। अन्य शब्दों पर कार्य जारी है।
लाओ, हे लज्जास्मित प्रेयसि,
मदिर लालिमा का घट सुंदर,
मधुर प्रणय के मदिरालस में
आज डुबाओ मेरा अंतर!
ज्ञानी, रसिक, विमूढ़ों को जो
बंदी कर निज प्रीति पाश में
विस्मृत कर देती क्षण भर को,
लाओ वह मधु ज्वाल पात्र भर!