भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
सूनापन चहका-चहका / यश मालवीय
Kavita Kosh से
Dr. Manoj Srivastav (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:40, 1 जून 2010 का अवतरण
अभिवादन बादल-बादल
ख़बर लिये वन-उपवन की
कितने आशीर्वाद लिये
पहली बरखा सावन की
बरस-बरस हैं घन बरसे
अब की भी घुमड़े बरसे
लेकिन पिछली ऋतु जैसे
मन के हिरन नहीं तरसे
सूनापन चहका-चहका
चिड़िया चहकी आँगन की
रूनक-झुनक-झुन पायल की
बूँदों की रुनझुन-रूनझुन
सगुन हो रहे क्षण-क्षण पर
स्वस्तिक सजा, मिटा असगुन
घड़ी-घड़ी पर छवि निरखूँ
अपने जिया-जुड़ावन की
उमड़ रही जामुनी घटा
सजता आँखों का काजल
हरी-हरी पगडंडी पर
मौसम है श्यामल-श्यामल
रूप इंद्रधनु खिला-खिला
हुई समस्या दरपन की