भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

शेरों के कुत्ते / विष्णु नागर

Kavita Kosh से
Pradeep Jilwane (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:58, 4 जून 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विष्णु नागर |संग्रह=घर से बाहर घर / विष्णु नागर }} <…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

आजकल शेरों ने भी
कुत्ते पाल रखे हैं

सारे शेरों ने अपने दरवाजों पर लिखवा रखा है कि
कुत्तों से सावधान

इधर लोगों का ध्यान कुत्तों से सावधान होने में लग जाता है
उधर शेर को आराम से लोगों को चींथ खाने का मौका मिल जाता है।