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इतनी दूर जाऊँ कि भूल जाऊँ / विष्णु नागर

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मैं उत्तर में इतनी दूर चला आया
कि दक्षिण को भूल गया
और अब सोचता हूँ
कि दक्षिण में इतना दूर चला जाऊँ
कि उत्तर को भूल जाऊँ

यहाँ तक कि दक्षिण में हूँ
यह भी भूल जाऊँ!