भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

रात, दिन और बच्चा / मुकेश मानस

Kavita Kosh से
Mukeshmanas (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:18, 6 जून 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna । रचनाकार=मुकेश मानस }} <poem> '''रात, दिन, बच्चा''' मैंने देखी है …)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

{{KKRachna । रचनाकार=मुकेश मानस }}

रात, दिन, बच्चा

मैंने देखी है एक रात
चौखट पर खड़ी उदास
मैंने देखा है एक दिन
खाली हाथ लौटता हुआ

मैंने देखा है एक बच्चा
ठंडे फर्श पर टांगे ओढ़ता
मैंने पाया है खुद को
बेबस और लाचार

यूं ही उदास रहेगी रात
खाली हाथ लौटेगा दिन
बच्चा कँपकपा कर जम जाएगा
1990