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राजवती / मुकेश मानस
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राजवती
राजवती अच्छी थी
पति से दबती थी
मार खूब सहती थी
कुछ नहीं कहती थी
राजवती अच्छी थी
जितना कमाती थी
पति को थमाती थी
बच्चों को खिलाती थी
राजवती एक दिन
खराब औरत बनी
जुल्म के आगे
जैसे ही तनी
राजवती बन गई थी
शोषण के ख़िलाफ़ चंडी
सबने उसे कहा
वेश्या और रंडी
रचनाकाल:1996