भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
चुनावी पैरोड़ी / मुकेश मानस
Kavita Kosh से
Mukeshmanas (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:05, 6 जून 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मुकेश मानस |संग्रह=पतंग और चरखड़ी / मुकेश मानस }} …)
चुनावी पैरोड़ी
आएंगे वो आएंगे
वोट मांगने आएंगे
वोट मांगने की खातिर
अपनी शक्ल दिखाएंगे
हाथ तोड़ते रहते हैं जो
हाथ जोड़ते आएंगे
गुंडे, चोर, उचक्के सारे
शक्ल बदलकर आएंगे
मंत्री बनते ही जनमत को
असली रूप दिखाएंगे
रचनाकाल:1997