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स्वर्ग में कुछ भी नहीं है / विष्णु नागर
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लगता है स्वर्ग की कल्पना
कुछ जल्दी कर ली गई
इसलिए उसमें न फ्रिज है, न टीवी है
न एसी है, न लैपटाप है
न मोबाइल है, न कार है
और तो और उसमें रूमाल और तौलिया तक नहीं है
न प्लास्टिक का कूड़ा है, न चीथड़े हैं
न मच्छर है, न भैंसे हैं
न बेईमानी है, न चोरी है
सिर्फ देवता और देवियां होने से क्या होता है
जब शहनाज हुसेन के प्राडक्ट्स तक नहीं है
स्वर्ग में बाजार नहीं है, भूमंडलीकरण नहीं है
नहीं है, नहीं है, मैंने कहा न स्वर्ग में कुछ भी नहीं है
इसलिए मैं नरक तो फिर भी जा सकता हूं
लेकिन स्वर्ग-बिल्कुल नहीं!