भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

कूव्वते इंतज़ार आ जाए / विजय वाते

Kavita Kosh से
वीनस केशरी (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 03:48, 11 जून 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विजय वाते |संग्रह= गज़ल / विजय वाते }} <poem> सांस पर इख…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

सांस पर इख्तियार आ जाए,
वो अगर एक बार आ जाए |

वो शज़र सायादार आ जाए,
धूप का एतबार आ जाए|

कोई तो ढूढ़ लाये उस जैसा,
जिसको देखूं कि प्यार आ जाए|

अपने बच्चे ही जो मुक़ाबिल हों,
अपने हिस्से मे हार आ जाए|

अब हमें इंतज़ार करना है,
कूव्व्ते इंतज़ार आ जाए |