भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

उदास तो है / विजय वाते

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मेरा अहसास मेरे पास तो है,
दिल जो रोया नहीं उदास तो है|

सब समझते हैं जिसको परदेसी,
वो कहीं दिल के आस पास तो है |

राम इस दौर में कहाँ होंगे,
राम जैसा कोई लिबास तो है |

चल पड़ा है कोई हवा के खिलाफ,
कुछ नतीजा नहीं है आस तो है |