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कालीबंगा: कुछ चित्र-16 / ओम पुरोहित ‘कागद’
Kavita Kosh से
मिला है जब
कालीबंगा के थेहड़ में
राजा का बास
तो जरूर रहे होंगे
अतीत के आखर
कैसे मिट गए लेकिन
किसी ने ज़रूर
भगाई होगी भूख
कुछ दिन
तभी तो मिलता है
अस्थिपंजरों में
इतिहास कालीबंगा का।
राजस्थानी से अनुवाद : मदन गोपाल लढ़ा