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आँचल मे सज़ा लेना कलियाँ जुल्फों मे सितारे भर लेना / मजरूह सुल्तानपुरी

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आँचल में सजा लेना कलियाँ जुल्फों में सितारे भर लेना
ऐसे भी कभी जब शाम ढले तब याद हमें भी कर लेना

आया था यहाँ बेगाना सा कहल दूंगा कहीं दीवाना सा
दीवाने के खातिर तुम कोई इलज़ाम न अपने सर लेना

रास्ता जो मिले अनजान कोई आ जाए अगर तूफान कोई
अपने को अकेला जान के तुम आँखों मे न आंसूं भर लेना