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तो ग़ज़ल होती है / विजय वाते
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द्विजेन्द्र द्विज (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:09, 19 जून 2010 का अवतरण
दर्द में उम्र बसर हो तो ग़ज़ल होती है|
या तेरा साथ अगर हो तो ग़ज़ल होती है|
तेरे आने कि ख़बर रोज़ कहाँ आती है,
कब कोई ऐसी ख़बर हो तो ग़ज़ल होती है|
ग़ज़लें अख़बार कि खबरों कि तरह लगतीं हैं,
हाँ तेरा ज़िक्र अगर हो तो ग़ज़ल होती है|
हिन्दी, उर्दू में कहो या किसी भाषा में कहो,
बात का दिल पे असर हो तो ग़ज़ल होती है|
कान रखते हैं हवाओं पे यहाँ लोग "विजय"
जब ज़माने पे नज़र हो तो ग़ज़ल होती है|