भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
रात सड़क लैम्प... / अलेक्सान्दर ब्लोक
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:33, 20 जून 2010 का अवतरण
|
रात
सड़क
लैम्प
कैमिस्ट की दुकान
धुंधली और अर्थहीन रोशनी
और अगर जिओ तुम
एक चौथाई शताब्दी
तब भी सभी कुछ
होगा ऎसा ही
इससे निकलने का
रास्ता नहीं
मर जाओगे
नए सिरे से फिर से शुरू करोगे
और पुराने जैसा
सब कुछ दोहराओगे
रात
सड़क
लैम्प
कैमिस्ट की दुकान
अंग्रेज़ी से अनुवाद : रमेश कौशिक