भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
सच सूर्य है / रमेश कौशिक
Kavita Kosh से
Kaushik mukesh (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:24, 21 जून 2010 का अवतरण
क्यों मरोगे
सच कहोगे
सच के सिवा कुछ न कहोगे
जानते हो
सच सूर्य है
कहोगे तो जल मरोगे
सच के सिवा
सब कुछ कहोगे
जानता हूं
नाहक क्यों मरोगे।
सच कहोगे
सच के सिवा कुछ न कहोगे
जानते हो
सच सूर्य है
कहोगे तो जल मरोगे
सच के सिवा
सब कुछ कहोगे
जानता हूं
नाहक क्यों मरोगे।