भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
जब मैं बोला / रमेश कौशिक
Kavita Kosh से
Kaushik mukesh (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:49, 23 जून 2010 का अवतरण
जब मैं चुप था
नहीं किसी ने मुझसे पूछा-
मैं क्यों चुप हूँ?
जब मैं बोला
तब सारी दुनिया ने टोका।