भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

विश्राम / रमेश कौशिक

Kavita Kosh से
Kaushik mukesh (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:25, 25 जून 2010 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

एक पंख सूरज
एक पंख चाँद
बहुत तेज उड़ता है
समय का यान ।

आओ इसके पंखों को काटें
गति दें थाम
हारे-थके जीवन को
करने दें
युग-युग विश्राम।