भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
घर की याद / कर्णसिंह चौहान
Kavita Kosh से
Mukeshmanas (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:51, 29 जून 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कर्णसिंह चौहान |संग्रह=हिमालय नहीं है वितोशा / क…)
सर्द हवा में ठिठुरी
काफी की आखिरी बूंद
गले में उतार
सड़क किनारे सोच रहा
यह
देश जायेगी या घर ?