भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

रचा तो रहा / सांवर दइया

Kavita Kosh से
Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:18, 30 जून 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: <poem>मैं न सही मेरी जगह मेरा रचा तो रहा चलो अच्छा है इसी बहाने मैं कु…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मैं न सही
मेरी जगह
मेरा रचा तो रहा

चलो अच्छा है
इसी बहाने
मैं कुछ बचा तो रहा ।