Last modified on 30 जून 2010, at 21:14

मन का तोता / अवनीश सिंह चौहान

मन का तोता बोला करता
रोज़ नये संवाद

महल-मलीदा-पदवी चाहे
लाखों-लाख पगार
काम एक ना वैसा करता
सपने आँख हज़ार

इच्छाओं की सूची भरता
देता सिर पर लाद

अपने आम बाग के मीठे
कुतर-कुतर कर फैंके
किन्तु पड़ोसी का खट्टा भी
उसको ज्यादा महके

समझाने पर करता-रहता
अड़ा-खड़ा प्रतिवाद

कि विज्ञापन की भाषा बोले
‘यह दिल माँगे मोर’
देख-देख बौराए तोता
देता खींस निपोर

बात न मानो, करने लगता
घर में रोज़ फ़साद