मेरे हाथ
मेरे कंधों पर थे
फ़िर भी
लोगों ने
मेरे हाथ ढूंढे
क्रांतियो में
भ्रांतियो में
यानी
तमाम अपघटितों में
बेबाक गवाहियां
निर्लज्ज पुष्टियों में थी
जबकि मैं
असहाय मौन
दूर खड़ा
दोनों हाथ
मलता रहा.
मेरे हाथ
मेरे कंधों पर थे
फ़िर भी
लोगों ने
मेरे हाथ ढूंढे
क्रांतियो में
भ्रांतियो में
यानी
तमाम अपघटितों में
बेबाक गवाहियां
निर्लज्ज पुष्टियों में थी
जबकि मैं
असहाय मौन
दूर खड़ा
दोनों हाथ
मलता रहा.