Last modified on 3 जुलाई 2010, at 16:05

शब्दों के घाव / राजेश व्यास

Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:05, 3 जुलाई 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: <poem>चुन-चुन कर फेंक दिए हमने सभी अक्षर अंधे कुओं में। भाषा के चेहरे …)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

चुन-चुन कर
फेंक दिए हमने
सभी अक्षर
अंधे कुओं में।
भाषा के चेहरे पर
इसी से लगे हैं
शब्दों के घाव।