भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
कहीं पढा था / नवनीत पाण्डे
Kavita Kosh से
Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 04:56, 4 जुलाई 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: <poem>कहीं पढा था जिस तरह मर जाते हैं बीमार-कमज़ोर बच्चे मर रहे हैं शब…)
कहीं पढा था
जिस तरह मर जाते हैं
बीमार-कमज़ोर बच्चे
मर रहे हैं शब्द कविता में
इतना गर्म
और लचीला कर दिया है माहौल
बाज़ारों ने
कि अखबारी समाचार
फंतासी किस्सागोई
होने लगी है कविता
बच्चे ने लिखे
सुलेख की अभ्यास पुस्तिका में
लिखावट सुधारने के लिए कुछ षब्द
गर्व से घोशित कर दिया गया
बेटे ने लिखी है कविता।