भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

तुम-2 / सलमा

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:08, 4 जुलाई 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= सलमा }} {{KKCatKavita‎}} <poem> तुम्हारे द्वारा चीर कर पैदा हु…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

तुम्हारे द्वारा चीर कर
पैदा हुए
हमारे बच्चों का भविष्य

निर्भर करता है
मेरे अच्छे चाल-चलन
और सेवा वृत्ति पर...


मूल तमिल से अनुवाद : कमलिनी दत्त