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आसमान / नवनीत पाण्डे
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जब तुम देख रहे होते हो आसमान
आसमान ही दिखता है तुम्हें
वह ज़मीन
कहीं नहीं होती आंखों में
जो दिखाती है तुम्हें आसमान
या तो तुम्हें पता नहीं है
या फिर तुमने भुला दिया है
आसमान के बिना
ज़मीन
नहीं होती ज़मीन
ज़मीन के बिना
आसमान
नहीं होता आसमान।