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छोड़ो यार / गोबिन्द प्रसाद

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उसने कहा:
सुनाओ वह कविता
कौन-सी
कहा:
वही कविता ’नौकरी’
अच्छा;नौकरी
अभी ढ़ूँढ रहा हूँ
अचानक सन्नाटे की लहर काँप उठी
फिर उसने कहा:
मिल गयी नौकरी
छोड़ो यार...
कविता की बात करो!