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उसको शाहनशही हर बार मुबारक होवे / भारतेंदु हरिश्चंद्र
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विक्तोरिया शाहेशाहान हिन्दोस्तान
उसको शाहनशही हर बार मुबारक होवे ।
कैसरे हिन्द का दरबार मुबारक होवे ।
बाद मुद्दत के हैं देहली के फिरे दिन या रब ।
तख़्त ताऊस तिलाकार मुबारक होवे ।
बाग़वाँ फूलों से आबाद रहे सहने चमन ।
बुलबुलो गुलशने बे-ख़ार मुबारक होवे ।
एक इस्तूद में हैं शेखो बिरहमन दोनों ।
सिजदः इनको उन्हें जुन्नार मुबारक होवे ।
मुज़दऐ दिल कि फिर आई है गुलिस्ताँ में बहार ।
मैकशो खानये खुम्मार मुबारक होवे ।
दोस्तों के लिए शादि हो गुलज़ार मुबारक होवे ।
... खार उनको इन्हें गुलज़ार मुबारक होवे ।
ज़मज़मों ने तेरे बस कर दिए लब बंद 'रसा'।
यह मुबारक तेरी गुफ़्तार मुबारक होवे ।
रचनाकाल : 1867