भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
होग नहीं / सांवर दइया
Kavita Kosh से
Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:59, 5 जुलाई 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: <poem>सूखता है पानी हो जाता है हरा पत्ता पीला अब चाहे जितना दें पानी …)
सूखता है पानी
हो जाता है
हरा पत्ता पीला
अब चाहे जितना दें पानी
होगा नहीं
पीला पत्ता फिर से हरा !