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तल में रखें है मोती / सांवर दइया

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चालाक लोगों ने
वहां भी फैला दिया डर
यह लवणाकर है
यदि इसकी तह में जाओगे
सिर्फ नमक पाओगे
खारेपन से खेलना ठीक नहीं !
तट पर रहो
भाग्य में जो लिखा है
यहीं मिल जायेगा
लहर आयेगी
कुछ न कुछ दे जायेगी !

सागर-तट पर खडे लोग
सुनते रहे चालाक लोगों की कूक्तियां
मेरे भीतर कौंधा-
   रत्नाकर !

मैं बोला-
तल तह जाऊंगा
मोती लाऊंगा !
सुनकर चौंके चालाक लोग
बोले- गहराई में जाना खतरा है
किनारा संभावनाओं से भरा है
लहर को आने दो !
लहर आई
अपने साथ लाई
शंख, सीपियां और घोंघे ।

झपट पडे लोग
झपटने वाले फिर झपटें
नहीं हो सकता यह लक्ष्य मेरा
मेरा ही क्या
किसी का नहीं हो सकता
जो सागर तक आए
और उपलब्धि के नाम पर
शंख-सीपियां-घोंघे ले जाए

बस, यही तो होगा
न रहेगा अस्तित्व
न सही
हाथ में मोती न होना
घोंघे होने से बेहतर है

मैं सागर में गोता लगाऊंगा
तल तक जाऊंगा
लौटूंगा तो मोती लाऊंगा
न लौट सकूं तो
रोना नहीं साथियों !
तुम भी आना
(मेरी तलाश में नहीं)
सागर में गोता लगाना
तल तक जाना, तल में है मोतियों का खजाना !