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राजधानी में / ओम पुरोहित ‘कागद’

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वह
आया था गांव से
देश की राजधानी में
मुंह अंधेरी भोर में
ताजा छपे अखबार सा
अंग-अंग पर
सुकाल से
अकाल तक के
तमाम समाचार लिए
पड़ा है आज भी
ज्यों पड़ा हो
हिन्दी अखबार
केरल के किसी देहात में ।