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भरी हुई है प्रीत से / कुँअर बेचैन
Kavita Kosh से
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भरी हुई है प्रीत से सभी के मन की झोलियाँ
भले ही अपने सामने नए-नए सवाल हों
मगर हर सवाल का जवाब हम जवाब तुम
भले ही हम में तुम में कुछ रूप-रंग में भेद हो
है खुशबुओं में फ़र्क क्या गुलाब हम गुलाब तुम
चलो कि आज मिल के साथ राष्ट्र-वन्दना करें
सभी दिलों में एक रंग सिर्फ प्यार का भरें
चलो कि आज मिल के हम खाएँ एक ये क़सम
स्वदेश के लिए जिएँ-स्वदेश के लिए मरें
तुम्हें क़सम है कि तुम कभी न एक पल भी टूटना
कि देश के खुले नयन, ख़्वाब हम ख़्वाब तुम