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मगना नहीं करे गुहार / ओम पुरोहित ‘कागद’

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अकाल है गांव में
कह गया है प्रशासन
जो आया था
अभी-अभी
जमींदार की जीप पर ।

कहां है अकाल
पूछता सत्तू
चीखता है
जमींदार की बही में
कहां है अंगूठों का अकाल ?
साहूकार की चौपड़ी में
कहां है ब्याज का अकाल
और लगान वसूलते-वसूलते
प्रशासन क्यों हो गया है कंगाल ?

एक बार फिर
चीखता है सत्तू
थूकता है जीप पर ।