सात गांठ की
धोती पहने
मगना नहीं करे गुहार
रोटी बेटी का
हक गांव में
कैसे छोड़े घर-बार !
मांगे भी तो किस से
भूख पसरी है चारों कूंट
कर अकालिया श्रृंगार
और आहत है
खुद अकाल से
मुड़दल बौना दरबार ।
सात गांठ की
धोती पहने
मगना नहीं करे गुहार
रोटी बेटी का
हक गांव में
कैसे छोड़े घर-बार !
मांगे भी तो किस से
भूख पसरी है चारों कूंट
कर अकालिया श्रृंगार
और आहत है
खुद अकाल से
मुड़दल बौना दरबार ।