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अहो प्रभु अपनी ओर निहारौ / भारतेंदु हरिश्चंद्र

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अहो प्रभु अपनी ओर निहारौ।
करिकै सुरति अजामिल गज की, हमरे करम बिसारौ।
’हरीचंद’ डूबत भव-सागर, गहि कर धाइ उबारौ॥