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साथी है सेमल पुराना / त्रिलोचन

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साथी है मेरा एक
सेमल का पेड़
जो पुराना है

किसी ने लगाया नहीं
और
न ही रक्षा के लिए
थोड़ा खड़ा किया
बस्ती से दूर
ताल के समीप खड़ा है

पत्तियाँ
अनेक पतझारों को लुटा चुका
उल्लसित हो कर
पुष्पोत्सव मना चुका
रँग दिया दिशाओं को
हृदय में सँजोई हुई
अरुण तरंग से
डाल डाल, टहनी टहनी
जगमगा उठी
हुलास से
नीले आसमान को
सुहाने लाल फूलों को
गुच्छा एक
पृथ्वी ने मौन उपहार दिया ।

छाल जड़ों के समीप
काली है
खुट्ठियाँ जमी हुई हैं
ऊपर तने में
जहाँ शाखाएँ निकलती हैं
काँटे लसे हुए हैं
वर्ण वहाँ शुभ्र है
और आगे
डालें हैं
एक पर एक निकली हैं
इस ओर उस ओर
क्या बुलाने वाली बाहें
फैली हुई हैं

चिड़ियाँ भी आती हैं
ठहरती हैं
खेलती कलोलती हैं
और चली जाती हैं
धूप शीत वर्षा से बचने के लिए
यहाँ
आया ही करते हैं जानवर
जड़ों से रगड़ रगड़ कर
देह की खुजली मिटाते हैं
सुस्ती झाड़ देते हैं
थोड़ी देर आँखें मूँद मूँद कर
आराम करते हैं
फिर कहीं जाते हैं
या
ले जाए जाते हैं

हरियाली इस की
जो प्राणों के रस का प्रवाह है
मनोहर है
जीवन में आकर्षण भरा है
स्थावर या जंगम हो
जड़ हो या चेतन हो
सभी एक सूत्र से
बँधे हुए हैं
अपने इस साथी का परस पा के
मेरी भी सिराओं में
नई रवानी आती है
रुधिर की तरंग बढ़ जाती है
साथी है न !

मुझ को शिकायत नहीं कभी
क्यों नहीं सुगंध कभी देता यह
फूलों में
जो कुछ भी देता है
वही कौन कम है