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गिरी भी तो केवल मैं / अरुणा राय

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चौराहे पर फिसलती हूँ
उठती हूँ तड़फड़ाकर
गर्द झाड़ती हूँ
कोई देख तो नहीं रहा
फिर घबराहट क्यों
 
या अभी उठी नहीं
या मेरा कुछ छूट गया उस जगह
धैर्य या सहजता या कि क्रम में
यह तो बस मुझे पता है
गिरी भी तो केवल मै ही थी

तो लौट जाना चाहिए
बैठ कर बटोर लेना चाहिए
छूटा सब

लोग जान जायेंगे ?
लोगो को बतलाया जा सकता है पीछे भी
खुद को समझा सकूँगी
कि जो छूटा सो महत्त्वपूर्ण नहीं था ?