भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

बच जाता आदमी / चंद्र रेखा ढडवाल

Kavita Kosh से
द्विजेन्द्र द्विज (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 07:09, 17 जुलाई 2010 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


बच जाता आदमी
लाज कभी मन की
कभी तन की
रिश्ता प्यार का
दुनियादारी का
बचाने में
लगी रहती है औरत
और बचा रहता
 है आदमी