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कालीबंगा-२ / ओम पुरोहित ‘कागद’

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अभी तक बोलता है
कालीबंगा के
थेहड़ में कौआ
परन्तु
नहीं उठता कोई
मेहमान की प्रतीक्षा में
मेहमाननवाजी के लिए !

अनुवाद-अंकिता पुरोहित "कागदांश"