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पानी-१ / ओम पुरोहित ‘कागद’

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कहां मिलता है
स्थिर
पानी होता है
परमेश्‍वर !

तभी तो
होता है
दर्शन दुर्लभ
नमन है पानी !

अनुवाद-अंकिता पुरोहित "कागदांश"