भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

शब्द-१ / ओम पुरोहित ‘कागद’

Kavita Kosh से
Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 04:39, 18 जुलाई 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: <poem>युद्ध में मानव की लगातार हार के बाद भी शेष हैं शब्द दिपते सूरज क…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

युद्ध में
मानव की
लगातार हार के बाद भी
शेष हैं
शब्द
दिपते
सूरज की तरह
सहयोगार्थ
प्रीत की रीत
फ़ैलाने !

अनुवाद-अंकिता पुरोहित "कागदांश"